Singrauli Pollution : जिला मुख्यालय वैढ़न में पिछले तीन दिनों से प्रदूषण कहर बरपा रहा है। ये हम नहीं बल्कि सरकारी आंकड़े हकीकत खुद बयां कर रहे हैं। दरअसल, तीनों दिन 12, 13 व 14 नवंबर को शहर में प्रदूषण का ग्राफ 300 एक्यूआई से अधिक दर्ज किया गया है।
प्रदूषण की ये स्थिति बेहद गंभीर मानी जाती है और इस दौरान प्रदूषण आबोहवा में जिस तेजी से घुलता है, उतनी ही तेजी से लोगों की सेहत को भी प्रभावित करने के आसार भी बढ़ जाते हैं। जबकि शहर के ही दूसरे हिस्से दुधिचुआ क्षेत्र, जहां कोयला खदाने संचालित हैं, वहां प्रदूषण का स्तर मुश्किल से 151 एक्यूआई तक सिमटा है।
ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वैढ़न शहर में ऐसा क्या है, जिससे यहां प्रदूषण का ग्राफ कोयला खदान क्षेत्र से भी अधिक बढ़ रहा है? कारण जो भी हो, लेकिन ये एक बड़ी चिंता और जांच का विषय है, जिस पर नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर जिला प्रशासन को भी गंभीरता दिखाने की जरूरत है।
पिछले चार दिनों में कब, कहां, कितना प्रदूषण दर्ज हुआ?
(स्रोत: मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जारी बुलेटिन)
| दिन | ट्रामा सेंटर बैढ़न (AQI) | सूर्य किरण भवन दुधिचुआ (AQI) |
| 11 नवंबर | 181 | 133 |
| 12 नवंबर | 320 | 139 |
| 13 नवंबर | 309 | 151 |
| 14 नवंबर | 317 | No Reading |
| 15 नवंबर | 337 | No Reading |
प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर गंभीरता क्यों नहीं?
वैढ़न शहरी क्षेत्र नगर निगम के अधीन है और यहां प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का जिम्मा भी इन्हीं के हवाले है, लेकिन इस दिशा में निगम के प्रयास इतने नाकाफी हैं कि पिछले साल लाखों रुपये का डीएमएफ फंड खर्च कर ननि के द्वारा जो दो वाटर स्प्रिंकलर खरीदे गये थे, उन्हें आज तक शहर की सड़कों पर पानी का छिडक़ाव कराने नहीं उतरवा सका है। दूसरा शहर के प्रमुख चौराहों, तिराहों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए फव्वारे जैसे कोई इंतजाम नहीं कराये गये हैं। शहर की सड़कों को लगातार गंदा किया जा रहा है।
दज किया गया है। प्रदूषण की ये स्थिति बेहद गंभीर मानी जाती है और इस दौरान प्रदूषण आबोहवा में जिस तेजी से घुलता है, उतनी ही तेजी से लोगों की सेहत को भी प्रभावित करने के आसार भी बढ़ जाते हैं। जबकि शहर के ही दूसरे हिस्से दुधिचुआ क्षेत्र, जहां कोयला खदाने संचालित हैं, वहां खदान क्षेत्र से भी अधिक बढ़ रहा है? कारण जो भी हो, लेकिन ये एक बड़ी चिंता और जांच का विषय है, जिस पर नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर जिला प्रशासन को भी गंभीरता दिखाने की जरूरत है।
दुधिचुआ क्षेत्र में प्रदूषण में गिरावट के क्या ये कारण है?
वैढ़न शहर क्षेत्र के मुकाबले अगर दुधिचुआ-जयंत क्षेत्र तरफ प्रदूषण के ग्राफ में दर्ज की जा रही गिरावट की वजह कंपनियों में प्रदूषण नियंत्रण के उपाय नियमित रूप से किए जा रहे हैं। ऐसे में भले ही 100 प्रतिशत लाभ न हो, लेकिन प्रदूषण के स्तर में कुछ तो कमी आयेगी ही। संभवतः दुधिचुआ क्षेत्र में प्रदूषण में दर्ज की जा रही गिरावट की यही वजह हो सकती है। वर्तमान में भी कंपनियों के द्वारा सड़कों पर वाटर स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव व रोड स्वीपिंग मशीन से सफाई भी कराई जाती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा का कहना है कि शहरी प्रदूषण में धूल-डस्ट के कारण पीएम-10 प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता है। वैढ़न में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर में इसी प्रकार के प्रदूषण की अधिकता देखने को मिली है। निरंतर ननि को ये सलाह दी जाती है कि वह वाटर स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव नियमित रूप से करायें। शहर के कुछ प्रमुख चौराहों, तिराहों को चिन्हित कर वहां पर मिस्ड फॉगर स्थापित कराये जायें और कम से कम शहर की 3-4 जो भी मुख्य सड़कें हैं, उनके लिए मोबाइल मिस्ड फॉगर तैनात किये जायें। कुछ चौराहे, तिराहे में फव्वारे भी लगवाये जायें और सड़कों को साफ-सुथरा करने सफाई भी नियमित रूप से हो। ऐसे अन्य कई आवश्यक प्वाइंट्स अनियमित बताये जाते हैं।