Singrauli News : जिले के सरई क्षेत्र अंतर्गत अमिलिया कोल क्षेत्र के ग्राम पिंडरवा, देवरागांव, बंधा, तेंदुआ व पचोर समेत कुल 6 गांव व आसपास के क्षेत्रों से सड़क मार्ग से जो कोल परिवहन होता है, उसकी वजह से इन ग्रामों में कोल डस्ट व सड़क में उठने वाली धूल के कारण प्रदूषण होता है। इसी प्रकार से सड़क पर दौड़ कोल वाहनों के कारण हादसों का भी खतरा निरंतर मंडराता रहता है। दरअसल, इस मार्ग से टीएचडीसी की कोयला खदान के करीब 5.6 मिलियन टन कोयले का परिवहन होता है और इतने कोयले के परिवहन के लिए यहां की सड़कों पर दिन-रात करीब साढ़े तीन सौ की तादात में कोल वाहन दौड़ते हैं। जिनसे प्रदूषण व हादसों का खतरा यहां लगातार बना रहता है। इस खतरे से राहत दिलाने की मांग भी स्थानीय लोग लंबे समय से करते आ रहे हैं। ऐसे में इन गांव के लोगों के लिए एक राहतभरी खबर ये सामने आ रही है कि इन्हें जल्द ही सड़क पर दौड़ते कोल वाहनों और उनसे व्याप्त प्रदूषण व हादसों के खतरे से राहत मिल सकती है। यहां के लोगों को ये राहत कोल वाहनों की जगह पर ओवरलैंड कन्वेयर से कोयले की ढ़लाई होने से मिल सकेगी और इसके लिए यहां टीएचडीसी के द्वारा ओवरलैंड कन्वेयर का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत निर्माण हो भी चुका है। बताया जा रहा है कि आगामी 5-6 माह में ये निर्माण कार्य पूर्ण होने के आसार हैं और इसके बाद कन्वेयर से कोयले की ढलाई भी शुरू कर दी जाएगी।
13 किमी. लंबे ओवरलैंड कन्वेयर मे बनेंगे 497 पिलर
जानकारी के अनुसार, लगभग 469 करोड़ रूपये की लागत से इस 13 किमी. लंबे ओवरलैंड कन्वेयर का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें कुल 497 पिलर होंगे। इस कन्वेयर का निर्माण सितंबर 2023 में शुरू किया गया था, लेकिन बीच में कभी फारेस्ट क्लीयरेंस व भूमि अधिग्रहण संबंधी मामलों में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं के कारण इस कन्वेयर के निर्माण कार्य में व्यवधान आता रहा, लेकिन इन अड़चनों को दूर कर निर्माण कार्य फिर शुरू कर तेजी से कार्य किया जा रहा है और करीब 90 प्रतिशत कार्य हो चुका है।
रेलवे साइडिंग के लिये पहला कन्वेयर
अभी टीएचडीसी की खदान के कोयले को पिड़रवाहसे कोल वाहनों में लोडकर करीब 13 किमी की दूरी तय कर 6 ग्रामों से होकर देवरा ग्राम में रेलवे साइडिंग ले जाया जाता है, जबकि ओवरलैंड कन्वेयर के बनकर तैयार हो जाने के बाद पिड़रवाह से कोयले की दुलाई कन्वेयर से होगी और पिड़रवाह से 13 किमी. की दूरी तय करके ये कोयला कन्वेयर से ही देवरा ग्राम में करीब 100 मीटर पहले ही अनलोड कर रेलवे साइडिंग तक पहुंचाया जाएगा, वहां से रैंक में लोड होकर गंतव्य के लिये भेजा जायेगा।
पहला कन्वेयर वर्ष 2012 में हुआ था शुरू
बता दें कि जिले में कोयला खदानों से पावर प्लांट तक कोयले का परिवहन वाहनों से करने का चलन है। वर्तमान में ओपन एरिया में कन्वेयर से कोयले की ढुलाई केवल सासन पावर द्वारा अमलोरी एवं मुहेर कोल ब्लॉक से किया जा रहा है। ये जिले का पहला कन्वेयर है, जो करीब 18 किमी. लंबा है। वर्ष 2012 इसकी शुरूआत हुई थी। टीएचडीसी के द्वारा निर्मित कराया जा रहा कन्वेयर सासन पावर के बाद इस प्रकार का दूसरा कन्वेयर होगा।
इनका कहना है
टीएचडीसी के द्वारा निर्मित कराये जा रहे ओवरलैंड कन्वेयर से उस क्षेत्र की परिवेशीय वायु में कोल डस्ट से पीएम 10 व पीएम 2.5 जैसे हानिकारक पार्टिकल्स में कमी आयेगी। इससे क्षेत्र का वातावरण भी काफी सुधरेगा। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा टीएचडीसी की इस अमिलिया कोल खदान को जारी स्थापना सम्मति की शर्तों में कोल परिवहन कन्वेयर से करना निधर्धारित किया गया था। इसी के तहत कंपनी इस कन्वेयर का निर्माण करा रही है, कंपनी के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए भी हर प्रकार से हितकारी रहेगा। – संजीव मेहरा, क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड
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